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पिता ने लिवर डोनेट कर बचाई 17 महीने की बच्ची की जान

पिता ने लिवर डोनेट कर बचाई 17 महीने की बच्ची की जान

रायपुर की 17 महीने की अश्वि को लिवर ट्रांसप्लांट के जरिए नई जिंदगी की सौगात मिली है और ये सौगात अश्वि को खुद उनके पिता ने लाइव लिवर डोनेशन के जरिए दिया है। अश्वि का लिवर ट्रांसप्लांट करने वाले कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने इसे वेस्टर्न इंडिया का अब तक सबसे यंगेस्ट ट्रांसप्लांट होने का दावा किया है। जानकारी के अनुसार अश्वि लिवर की एक गंभीर समस्या से जूझ रही थी और उसे तुरंत ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। ऐसे में पिता ने अपने लिवर का छोटा सा हिस्सा देकर अपनी बेटी को फिर से एक नई जिंदगी दी है।

जन्मजात बीमारी: हॉस्पिटल के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के प्रमुख विनय कुमारन ने बताया कि अश्वि ‘बिलियरी एट्रेशिया’ की बीमारी से परेशान थी। यह एक लिवर से संबंधित बीमारी है, जो बच्चों में अक्सर जन्मजात होती है। इसके अंतर्गत बच्चों का लिवर ठीक से काम नहीं करता है और धीरे-धीरे काम करना ही बंद कर देता है। अश्वि को बिलियरी एट्रेशिया की वजह से पीलिया और पेट फूलने की शिकायत हो रही थी। जिसके लिए परिजन ने उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती किया था। हालांकि स्थिति में सुधार न होता देख हॉस्पिटल ने ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया। ऐसे में हॉस्पिटल ने बताया सबसे यंगेस्ट लिवर ट्रांसप्लांट

परिवार जनवरी में अस्पताल में भरती हुई। जांच के बाद पता चला कि उसका लिवर लगभग खराब हो गया था और उसे जल्द से जल्द ट्रांसप्लांट की जरूरत थी। हालांकि ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार नहीं किया जा सकता था इसलिए पिता ने लिवर दान कर अपनी बच्ची को बचाने का फैसला किया। जिसके बाद लाइव लिवर ट्रांसप्लांट के जरिए अश्वि के पिता के लिवर से छोटा सा हिस्सा निकालकर अश्वि को ट्रांसप्लांट कर दिया गया। फिलहाल अश्वी पूरी तरह स्वस्थ है और उसे जल्द ही हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी जाएगी।

काफी जटिलः डॉ विनय ने बताया कि अब तक इतनी कम उम्र के बच्चे का मुंबई में ट्रांसप्लांट नहीं किया गया है। ऐसे में ट्रांसप्लांट के वक्त कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सर्जिकल उपकरणों के इस्तेमाल से लेकर विभिन्न तरह के जांच के लिए डॉक्टरों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसके लिए हॉस्पिटल के कई विभाग के मेडिकल एक्सपर्ट इस सर्जरी को पूरा करने के लिए एक साथ आगे आए।

382 हैं इंतजार में: अंगदान को लेकर लोगों में जागरुकता के अभाव के चलते राज्य में लिवर ट्रांसप्लांट के लिए कतार में लगे मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य निदेशालय से मिले आंकड़ों के अनुसार राज्य में 382 मरीज लिवर ट्रांसप्लांट के लिए इंतजार में खड़े हैं। इसमें से सबसे अधिक मरीज मुंबई से हैं। आंकड़ों के अनुसार मुंबई में 207, पुणे 175 लोग लिवर ट्रांसप्लांट के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं। एक्सपर्ट की मानें तो आज भी लोग अंगदान के लिए आगे नहीं आते। नतीजतन हर साल सैकड़ों लोगों की जान समय पर अंग न मिलने के कारण हो जाती है।

ऐसे रखें अपने लिवर का ध्यानः डॉक्टरों ने बताया कि लिवर से संबंधित ज्यादातर बीमारियां अधिक शराब पीने व खानपान सही न होने के कारण होती है। ऐसे में इस बीमारी से बचने के लिए डॉक्टरों ने लोगों से हेल्दी खाना खाने के साथ ही शराब से दूर रहने का सुझाव दिया है। बढ़ता मोटापा और डायबिटीज भी लिवर संबंधित बीमारियों की वजह हो सकती है। ऐसे में वजन नियंत्रित रखने के साथ ही रोजाना एक्सरसाइज करने से भी इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है। फोर्टिस हॉस्पिटल के लिवर रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश रॉय ने बताया कि अचानक से वजन कम होना, भूख न लगना, कुछ भी खाने के बाद उलटी होने जैसे लक्षण लिवर संबंधित इंफेक्शन के हो सकते हैं। ऐसे में इस स्थिति में बगैर समय बर्बाद किए तुरंत डॉक्टरों से मिल लेना चाहिए।

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